
Full Form of ISRO, IRNSS and NavIC :
NavIC: (Navigation with Indian Constellation)
ISRO: Indian Space Research Organization (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र)
IRNSS: Indian Regional Navigation Satellite System (इंडियन रीजनल नेविगेशन सेेटेलाइट सिस्टम)
NavIC को आम तौर पर IRNSS यानी कि Indian Regional Navigation Satellite System भी कहा जाता है, तथा इसका उद्देश्य टेक्नोलॉजी को यूज करने वाले लोगों के लिए बिल्कुल accurate और precise location उपलब्ध करवाना है. NavIC मे कुल 8 IRNSS satellites का प्रयोग किया जाता है, जिसमें ये एक का काम मैसेज सर्विस प्रदान करना होता है.
साल 2016 के अप्रैल मे इस सिस्टम की सातवीं सेटेलाइट के सफल लॉन्च के बाद भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे NavIC नाम दिया गया.
What is NavIC and IRNSS? (क्या है नाविक?)
IRNSS भारतीय स्पेस अनुसंधान केंद्र ISRO और इसकी commercial wing ANTRIX के द्वारा एक स्वतंत्र Navigation Satellite के रूप में डिवेलप किया गया है, जिसका ऑपरेशनल नाम NavIC रखा गया है. NavIC भारत के सभी internet users और भारत की बाउंड्री के 1500 किलोमीटर दूर तक के एरिया मे रहने वाले लोगों के लिए डिजाइन किया गया है. ये सेटेलाइट इंडिया और इसके आसपास रहने वाले यूजर्स को बिल्कुल accurate position की लोकेशन और जानकारी पहुंचाएगा.
NavIC एक ऐसा नैविगेशन सेटेलाइट सिस्टम है, जो इंडिया के हर हिस्से की real time Positioning और time की सर्विस प्रोवाइड करेगा.
अब तक ISRO द्वारा कुल 9 सेटेलाइट का निर्माण किया जा चुका है, जिनमे से 8 सेटेलाइट को सफलतापूर्वक Space orbits मे स्थापित कर दिया गया है.
NavIC क्या है? (What is NavIC?)

- य़ह एक Indian Regional Navigation Satellite System यानी कि IRNSS है, जिसे ISRO और ANTRIX ने साथ मिलकर डेवलप किया है.
- ये समुद्र तल से करीब 36000 किलोमीटर की ऊंचाई पर 7 satellites का सिस्टम है. जिनमे से 3 सेटेलाइट geostationary orbit मे मौजूद होती हैं, और बाकी 4 सेटेलाइट geosynchronous orbit मे होती हैं.
- NavIC का प्रमुख उद्देश्य भारत और इसके आसपास के एरिया मे नेविगेशन, टाइमिंग, रिलायबल पोजिशनिंग सर्विस उपलब्ध करवाना है.
- NavIC के काम करने का तरीका और स्टाइल United States के द्वारा डिवेलप किए गए GPS यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के जैसी ही है.
- इसके अलावा NavIC को 3GPP (3rd Generation Partnership Project) से भी मान्यता प्राप्त है. पूरी दुनिया मे मोबाइल और टेलीफोन के standards को लागू करवाने की जिम्मेदारी 3GPP की ही है.
IRNSS क्या है? (What is IRNSS?)
- इंडियन रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम (IRNSS) भारत का स्वविकसित और स्वतंत्र नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम है.
- उद्देश्य : इसे भारत और आसपास के सभी इन्टरनेट यूजर्स को precise पोजिशनिंग डाटा सर्विस उपलब्ध करवाने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
- ये दो तरह की सर्विसेज प्रदान करता है : Standard Positioning System (SPS) जो सभी तरह के यूजर्स के लिए अवेलेबल है, जबकि दूसरी Restricted Service (RS) है, जो कि encrypted form मे होती हैं और सिर्फ अधिकृत users को ही प्रोवाइड करवाई जाती है.
- ये सिस्टम भारत के अंदर 20 मीटर तक के एरिया मे पोजीशन accuracy उपलब्ध करवा सकता है, जो कि इस सर्विस का primary area भी है.
IRNSS का निर्माण इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) द्वारा किया जा रहा है और ये पूरी तरह से भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र मे है. भारत को अपने एक स्वतंत्र नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम को डिवेलप करने की जरूरत इसलिए भी है कि देश मे किसी तरह की नाजुक स्थिति के वक़्त हम सिर्फ ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) पर हो आश्रित नहीं रह सकते, जैसा कि साल 1999 में कारगिल के युद्ध मे भारतीय सेना के साथ हुआ था, जब भारत के पास अपना कोई नेविगेशन सिस्टम मौजूद नहीं था, और उन्हें पूरी तरह से अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम पर निर्भर रहना पड़ता था.
NavIC का व्यवसायिकरण : (Commercialization: NavIC app, maps, gps, phone, drone)
- ISRO की कॉमर्शियल विंग, ANTRIX ने उन इंडस्ट्रीज़ को पहचानने के लिए दो अलग अलग टेन्डर तैयार किए हैं, जिन इंडस्ट्रीज़ मे NavIC के उपयोग वाले hardwares और सिस्टम को डिवेलप किया जा सके.
- NavIC मे लगने वाले system के लिए अच्छे डिवाइस manufacturers और integrators की भी पहचान की जा रही है.
- NavIC का व्यावसायिकरण इन उद्देश्यों से किया जा रहा है:
- नेवीगेशन (हवा, पानी और जमीन तीनों पर).
- मैप्स (चार्ट, प्लॉट और जियोडेटिक डेटा के लिए).
- आपदा प्रबंधन.
- फ्लीट मैनेजमेन्ट और वीइकल ट्रैकिंग (खनन और ट्रांसपोर्ट के लिए उपयोगी).
- मोबाइल फोन इंटेग्रेशन.
- Precise Timings (पावर ग्रिड और एटीएम के लिए उपयोगी).
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सभी नैशनल परमिट वाले वाहनों मे ऐसी ट्रैकिंग डिवाइस को लगवाना अनिवार्य कर दिया है.
- 3GPP से मान्यता प्राप्त करने के बाद से NavIC के व्यावसायीकरण की सम्भावनाएं काफी ज्यादा बढ़ गई हैं.
NavIC vs GPS : (नाविक और जीपीएस में अंतर):

- NavIC की accuracy जहां 5 मीटर तक के एरिया मे ही रहती है, वहीं GPS की accuracy करीब 20 से 30 मीटर तक के एरिया में रहती है.
- NavIC की frequency S तथा L दोनों तरह के bands के लिए उपयुक्त होती है, वहीं GPS की frequency केवल L band तक रहती है.
S और L दोनों तरह के Frequency bands मे काम करने की वज़ह से NavIC को frequency मे होने वाली error को चेक करने के लिए किसी तरह के देरी करने वाले Frequency model का यूज नहीं करना पड़ता है और यह एक पूरी तरह से स्वतंत्र सेटेलाइट सिस्टम है.
क्या NavIC GPS से बेहतर है? (Is NavIC better than GPS?)
- जब US (NASA) द्वारा डिवेलप किए गए GPS की बात आती है, तो NavIC उससे ज्यादा accurate साबित होता है.
- NavIC को frequency मे होने वाली error का पता लगाने के लिए किसी तरह के delay कराने वाले Frequency model का प्रयोग नहीं करना पड़ता है क्योंकि यह खुद दो तरह के frequency bands S और L पर प्रयोग किया जा सकता है और यह पूरी तरह से independent है.
- ये बातें NavIC को GPS से बेहतर साबित करती हैं, लेकिन इसका एरिया कवरेज सिर्फ इंडिया और उसके आसपास के रीजन मे है, जो एक तरह से NavIC की लिमिटेशन है.
NavIC से जुड़े नए डेवलपमेंट्स : (New developments of NavIC)
ISRO के अनुसार नाविक मे कुछ नए developments हुए हैं :
- प्रसिद्ध सेमी कंडक्टर बनाने वाली कंपनी Qualcomm Technology Inc. ने NavIC मे लगाई जाने वाली chipsets के डेवलपमेंट और टेस्टिंग का काम पूरा कर लिया है.
- इससे ऑटोमोटिव, मोबाइल और आई ओ टी एप्लीकेशन और प्लेटफार्म NavIC को सपोर्ट कर पाएंगे.
- इस collaboration से भारत की इंडस्ट्रीज और टेक्नोलॉजी को एक बेहतर लोकेशन बेस्ड सर्विस उपलब्ध करवाई जा सकेंगी.
- GPS के अलावा NavIC की chips यूरोप के नेवीगेशन सिस्टम गैलीलीयो, रूस के GLONASS और चीन के नेवीगेशन सिस्टम Beidou के साथ भी efficiently work कर सकता है.
Vaishali Sharma is a post- graduate in Political Science from V.S.S.D. College of Kanpur. Her writing journey started in 2018, and from then she has come very far in field of Blogging (INKLAB) and Content Writing. Now, She is working as an UPWORK Freelancer and Blogger.